महाकाल के वस्त्र बनाने वाली शिक्षिका
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विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर में शिव नवरात्रि का पर्व बड़ी धूमधाम से मनाया जा रहा है। शिव नवरात्रि पर्व का आज सातवां दिन है। देश भर के 12 ज्योतिर्लिंगों में सिर्फ महाकाल मंदिर में ही शिव नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। पुजारी प्रतिदिन भगवान महाकाल का दूल्हा रूप में शृंगार कर रहे हैं। भगवान महाकाल के दूल्हे के रूप में होने वाले रोज नए शृंगारों के दर्शन के लिए भी भक्त उज्जैन पहुंच रहे हैं। भगवान महाकाल को प्रतिदिन होने वाले श्रृंगार के साथ उन्हें हर दिन नवीन वस्त्र राजसी ठाठ-बाठ के अनुसार पहनाए जाते है। दूल्हा बने महाकाल राजा के लिए हर दिन इतनी सुंदर तैयार करवाई जाती है, लेकिन महाकाल राजा को पहनाई जाने वाली यह रंग-बिरंगी रत्न और सितारों जड़ित पोशाक बनती कहां है और इन्हें कौन तैयार करता है यह शायद बहुत कम लोग ही जानते हैं।
दरअसल भगवान के लिए यह पोशाक उज्जैन निवासी महाकाल की एक भक्त कुसुम पांचाल तैयार करती हैं। वे पिछले 15 वर्षों से भगवान महाकाल के लिए यह आकर्षक और सुंदर वस्त्र बना रही हैं। प्राइवेट स्कूल में शिक्षिका कुसुम पांचाल ने बताया कि वह भगवान महाकाल के दर्शन करने मंदिर जाती थीं। भगवान महाकाल का आकर्षक रूप में शृंगार किया जाता था, लेकिन बाबा की पोशाख और भी आकर्षक ही सकती थी, इसलिए कुसुम ने भगवान महाकाल की रत्न जड़ित राजसी पोशाक तैयार करने का मन बनाया और दर्शन करते समय उनके मन में हुई इस इच्छा को मंदिर प्रबंध समिति को बताया, जिसके बाद उन्हें बाबा महाकाल के वस्त्र सिलने का शुभ अवसर प्राप्त हुआ और उस दिन से 15 साल हो गए हैं वे ही भगवान के लिए पोशाक बना रही हैं।
कुसुम पांचाल ने बताया उन्होंने कलात्मक सिलाई का कोर्स नहीं किया है, वे तो बस साधारण सिलाई-बुनाई करती हैं। भगवान के लिए राजसी पोशाक बनाने की सुंदर डिजाइन उन्हें स्वत: आ जाती है और वे पोशाक तैयार करने लगती हैं। सिलाई के लिए कपड़े व लेस आदि का कांबिनेशन मंदिर समिति की व्यवस्था अनुसार चुनती हैं।